दीए जलते हैं 🧡🔥🧡

दीए जलते हैं

आंधियां जो उड़ा देती हैं सपनो को
ऐसे सपनो में उजाले भरते हैं,
तेरे होने से, उन तूफानों में भी
दीए जलते हैं ।

कैसे मिलते हैं, दो दिल
मिलके एक जान कैसे होते है
जिनके आने से रोशन सा हुआ यह कमरा, बताए उन्हें कोई,
उन्हीं से ज़िन्दगी में हमारी
दीए जलते हैं ।

आंसुओं को अपने ही आंसुओं से पोंछ कर
हाथ में अपने, मेरे हाथों को डाल कर,
जो मेरे ख्वाबों में अपने सपनो को बुन लेती है
उन्हीं सपनो को रोशनी करते
उनके दीए हमारे नींदों में जलते हैं ।

मिलते हैं जब किसी अनजान से
जान – पहचान से
उनके मिलने से यह जो दिल जलते हैं,
घर जल्दी आया करो
तुम्हारे बिना यह दीए नहीं जलते हैं।

दिखने लगे हो मुझे मेरे चेहरे के सामने
हो भी और नहीं भी मेरी आंखो के सामने ।
रोशनी से भी छिप रहे हो
अंधेरे में क्यों दिख रहे हो ?
खुद जलाई ज्योत को नहीं बुजा पाओगे,
यह दीए जलते रहेंगे, तुम बताओ कब आओगे?

हर घड़ी इंतज़ार में,
ख़तम होती रही है लो मेरी,
प्यासा रहा और
मिटती रही है आस मेरी ,
मेरी आस की आग में तेरे ही ख्याल चलते हैं,
मेरे मन मेरे आंगन में दीए जलते हैं ।

रातों की रोशनी
अफताब की चमक में गायब ना होने दे,
मेरे आंसू बेहेते हैं
लेकिन मुझे हर पल रोने ना दे ।
गले लग जाना बस राही
एक यही उम्मीद में सांसे मेरी चलती है ,
तेरे ही दीदार को मेरे दीए की ज्योत जलती है।

खत आते हैं
तू नहीं आता।
आंसू आते हैं
यह गम क्यों नहीं जाता ?
तेरी यादों के तराने
इस दिल में क्यों पलते हैं ,
शायद इसी लिए तो दीए जलते हैं ।

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